पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने 28 अगस्त 2019 को एक कार्यालय ज्ञापन (ओएम) जारी किया, जिसमें खनन के बाद खाली पड़े खदानों को, निचले क्षेत्रो में मौजूद भूमि के पुनरुद्धार हेतु, और खेती की ज़मीन की मिट्टी के कंडीशनर के रूप में फ्लाई एश के उपयोग करने की अनुमति और बढ़ावा दिया गया है । ज्ञापन (ओएम) निर्देश देता है कि थर्मल पावर प्लांटों की पर्यावरण मंजूरी में सभी मौजूदा शर्तें जो इन तरीकों के माध्यम से राख के उपयोग को प्रतिबंधित करती हैं, उन्हें बदलकर ऐसी शर्ते लागु करनी चाहिए जो इसकी अनुमति देती हैं।
कार्यालय ज्ञापन के साथ-साथ केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा भी नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं जिनका पालन खदानों/निचले क्षेत्रों में फ्लाई ऐश डालते समय किया जाना है। फ्लाई ऐश उपयोग के ऐसे तरीकों के संभावित सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों पर चल रहे शोध के हिस्से के रूप में, मंथन अध्ययन केंद्र की एक टीम ने बोकारो, झारखंड में कुछ बंद खदानों और निचले इलाकों का दौरा किया । यह नोट मंथन द्वारा किए गए क्षेत्रीय दौरे के निष्कर्षों को कुछ प्रारंभिक विश्लेषण के साथ-साथ प्रस्तुत करती है।