नगरीय जलप्रदाय परिदृश्य पर इटारसी में आयोजित
मंथन अध्ययन केन्द्र एवं उपभोक्ता संरक्षण मंच (इटारसी) द्वारा 3 फरवरी 2015 को इटारसी में आयोजित संवाद में नगरीय जलप्रदाय परिदृश्य के विभिन्न पहलुओं यथा नगरपालिका द्वारा जलप्रदाय, स्थानीय जलस्रोत, नदियों आदि पर चर्चा कर यूआईडीएसएसएमटी के तहत जारी इटारसी की नई जलप्रदाय योजना को समझने का प्रयास किया गया। संवाद में इटारसी और आसपास के स्वयंसेवी समूहों, वरिष्ठ नागरिक समूहों, महिला समूहों, बुध्दिजीवी वर्ग के प्रतिनिधियों समेत नगर के कोई 80 नागरिक उपस्थित थे। स्थानीय प्रतिनिधियों के अलावा खण्डवा, पिपरिया, होशंगाबाद, भोपाल, शिवपुरी आदि स्थानों के कार्यकर्ता भी शामिल थे। संवाद के आयोजन को क्षेत्र के 19 स्वयंसेवी समूहों द्वारा समर्थन दिया गया था। संवाद के अंत में निर्णय लिया गया कि स्थानीय नागरिकों की एक समिति बनाकर इटारसी जलप्रदाय योजना के प्रभावों से स्थानीय नागरिकों को परिचित करवाया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि करीब एक लाख की आबादी वाले इटारसी में केन्द्र सरकार प्रवर्तित यूआईडीएसएसएमटी के तहत एक नई जलप्रदाय योजना का निर्माण अक्टूबर 2009 से जारी है। डेढ़ वर्षों में पूर्ण होने वाली यह योजना अभी तक साढ़े पॉंच वर्षों में भी पूरी नहीं हो पाई है। इटारसी में वर्तमान मे बोरवेल के माध्यम से जलप्रदाय तंत्र संचालित है। प्रबंधन की समस्या के कारण नगर में जलप्रदाय में असमानता है लेकिन जल उपलब्धता की समस्या नहीं है। नई योजना के पक्ष में माहौल बनाने हेतु वर्तमान जलप्रदाय तंत्र को बहुत पुराना तथा मरम्मत के अभाव में अप्रभावी बताते हुए इसे बंद कर 13 किमी दूर तवा नदी से पानी लाने की योजना बनाई गई है। राजनैतिक और प्रशासनिक दूरदर्शिता के अभाव में योजना लगातार पिछड़ती जा रही है। तकनीकी एवं व्यावहारिक पहलुओं की उपेक्षा के कारण निर्माण की गति और स्तर पर सवाल खड़े हो रहे हैं। खबरों के अनुसार नवगठित नगरपालिका परिषद की अगली बैठक में जलदर वृध्दि का प्रस्ताव लाया जाना है।
स्थानीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. कश्मीरसिंह उप्पल ने परिचय सत्र के दौरान संवाद कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए कहा कि देश के संविधान में पानी जीने के अधिकार में शामिल है लेकिन अब इस अधिकार पर प्रतिबंध लगाया जा रहा है। हमारी प्यास को निजी कंपनियों के ब्यापार का साधन बनाने का खतरनाक प्रयास जारी है इसलिए हमें सतर्क रहने की जरुरत है।
जन पहल के श्री योगेश दीवान ने सतही जलस्रोतों में जल उपलब्धता तथा उनमें प्रदूषण के संदर्भ में इनसे जलप्रदाय योजना संचालित किए जाने को भविष्य के लिए अनुपयुक्त बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में अधिकांश स्थानों पर बनाई जा रही जलप्रदाय योजनाऍं या तो स्थानीय जरुरतों के हिसाब से नहीं है या फिर अनावश्यक है। उन्होंने नागरिकों का आव्हान किया कि वे इन योजनाओं की सच्चाई को समझें और इसके गरीब विरोधी प्रावधानों को बदलवाने की मुहिम चलाऍं। उन्होंने बताया कि नए ऑंकड़ों के अनुसार नर्मदा में पानी की मात्रा और उसकी गुणवत्ता दोनों प्रभावित हो रही है। श्री राहुल श्रीवास्तव ने बदलते दौर में संसाधनों पर से समाज का नियंत्रण खत्म होने पर चिंता जताई।
मंथन अध्ययन केन्द्र के श्री रेहमत ने बताया कि 13.81 करोड़ की योजना का टेण्डर 26.11 करोड़ का स्वीकृत कर लिया गया लेकिन शेष लागत राशि का प्रबंध नहीं हो पाने के कारण योजना का काम शुरु होने के पूर्व ही टेण्डर की समयसीमा खत्म हो गई थी। ठेकेदार और नगरपालिका के बीच विवाद बढ़कर उच्च न्यायालय तक पहुँचा। बाद में काम प्रारंभ हुआ लेकिन टेण्डर की शर्तों के अनुसार इसमें गति नहीं आ पाई। डेढ़ वर्षों में यह योजना बनकर तैयार हो जानी चाहिए थी लेकिन इस अवधि में 20 प्रतिशत काम भी पूरा नही हो पाया। ठेकेदार कंपनी को अब तक 4 बार समयवृध्दि दी जा चुकी है लेकिन काम कब पूरा होगा यह कोई नहीं जानता है। योजना में पर्याप्त मात्रा में वितरण लाईनों का प्रावधान नहीं होने से जलप्रदाय में असमानता दूर होने की संभावना बहुत ही कम है। जलप्रदाय सेवा का उन्नयन गरीब बस्तियों की पहुँच से बाहर ही रहेगा।
मंथन अध्ययन केन्द्र के श्री गौरव द्विवेदी ने बताया कि यूआईडीएसएसएमटी की शर्तों के कारण इन जलप्रदाय योजनाओं का समाज के कमजोर वर्गों पर विपरीत असर पड़ेगा। योजना के तहत प्राप्त धन का उसकी शर्तों के तहत ही उपयोग करना होगा। नगरीय सेवाओं हेतु हस्ताक्षरित रिफार्म एजेण्डे के अनुसार नगरपालिका द्वारा सार्वजनिक नलों की समाप्ति, पूर्ण लागत वसूली और अंतत: जलप्रदाय के निजीकरण से गरीबों को उनके संवैधानिक अधिकारों से वंचित कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि अब दुनिया के कई देशों में पेयजल प्रदाय सेवा का निजीकरण समाप्त कर पुनर्निगमीकरण किया जाने लगा है।
खण्डवा के श्री तरुण मंडलोई ने खण्डवा में जारी पानी के निजीकरण विरोधी अभियान की गतिविधियों की चर्चा की। उन्होंने ने पानी के निजीकरण से नागरिकों पर पड़ने वाले प्रभावों जैसे जल दर वृध्दि, जलप्रदाय तंत्र पर निजी नियंत्रण, सार्वजनिक कुओं-ट्यूबवेलों के उपयोग से नागरिको को रोका जाना आदि का भी उल्लेख किया। शिवपुरी के श्री मनोज भदौरिया ने शिवपुरी की जलप्रदाय योजना के निर्धारित समय से साढे़ तीन वर्ष पिछड़ने का उल्लेख करते हुए कहा कि इस योजना का काम कब पूरा होगा कोई नहीं जानता है। उन्होंने बताया कि नगर के अधिकांश नागरिक योजना की शर्तों और निजी कंपनी से हुए अनुबंध से अनजान हैं। उल्लेखनीय है कि मध्यप्रदेश में खण्डवा और शिवपुरी की योजनाओं का पीपीपी के तहत 25 वर्षों के लिए निजीकरण किया गया है। शिवपुरी में वही दोशियन लिमिटेड काम कर रही है जो इटारसी की योजना का निर्माण कर रही है।
चर्चा सत्र में अनेक नागरिकों ने योजना के बारे में तथ्य तथा अपने विचार रखे। कई स्थानीय नागरिकों को योजना की ताजा स्थिति की जानकारी संवाद के दौरान ही मिली। नागरिकों ने योजना की शर्तों सार्वजनिक न किए जाने तथा निर्णय प्रक्रिया में आम नागरिकों को शामिल नहीं किए जाने को गंभीरता से लिया। उल्लेखनीय है कि योजना से संबंधित बड़े एवं महत्तवपूर्ण निर्णयों को नागरिक तो दूर निर्वाचित जनप्रतिनिधियों तक अलग रखा गया है और ये निर्णय नगरपालिका की अध्यक्षीय परिषद में लिए गए हैं जो कानूनी और नैतिक दोनों दृष्टि से उचित नहीं है।
नागरिको ने व्यक्त किया कि नगरविकास की योजनाओं का भार अंतत: नागरिकों को उठाना पड़ता है अत: इन योजनाओं की जन निगरानी जरुरी है। इटारसी की जलप्रदाय योजना के बारे में जनजागृति हेतु एक समिति बनाने का निर्णय लिया गया। उपभोक्ता संरक्षण मंच के श्री राजकुमार दुबे ने बताया कि समिति में नगर के समस्त नागरिक समूहों और प्रबुध्दजनों को जोड़ा जाएगा। संवाद में शामिल प्रतिभागियों का आभार श्री बी. बी. गॉंधी ने माना।
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on Municipal Wa
ter Supply in ITARSI (Madhya Pradesh)
Manthan Adhyayan Kendra, Badwani and Upbhokta Sanrakshan Manch, Itarsi organised a consultation in Itarsi on 3rd February 2015 to discuss on varied aspects of the municipal water supply scenario in the Madhya Pradesh. The consultation looked to discuss issues around municipal water services, local water resources and rivers including the new water supply project in Itarsi under Urban Infrastructure Development Scheme in Small and Medium Towns (UIDSSMT). Around 80 participants from the local community in and around Itarsi participated in the consultation including representatives of local volunteer and grassroots organisations, academics, senior citizens, women’s groups, journalists among others. The meeting was addressed by representatives of various social organisations working on different issues including water from places such as Khandwa, Bhopal, Pipariya, Hoshangabad and Shivpuri.
Briefly, the new water supply project implemented in Itarsi (population – 1 lakh approx.) under UIDSSMT and proposes to draw bulk water from river Narmada, 13 kms away, has been under construction since October 2009. When the contract was signed the construction phase of the project was supposed to be completed in one and a half years, however since then 5 years have passed but the construction phase is not complete as yet. The existing water supply system in Itarsi draws water from borewells. It has also been observed that due to issues plaguing distribution water supply is iniquitous in the town but largely water availability is not a major issue. The new project has been promoted while claiming that the existing system is very old and lack of maintenance has rendered it ineffective. However, it appears that due to lack of administrative and political vision the new project is being delayed. Technical and practical aspects are being neglected and have raised concerns on the pace and quality of construction. The domestic water tariff increase is also proposed to be tabled during the upcoming budget session in the municipal assembly.
During the introduction session Prof. Kashmir Singh Uppal, retired Principal Mahatma Gandhi Government PG College, Itarsi, shared the context of the consultation with the participants. He said that right to water is a fundamental right enshrined in the constitution of India. However, through various reform schemes there are efforts to deny this right to local people. He said that private companies are looking to generate profits from the essential services like water and people need to be aware about these efforts.
Shri Yogesh Diwan, in his address stated that in the long term it is necessary for municipal water supplies to assess the reliability of surface water sources in the context of increasing pollution levels as well as decreasing water availability. He said that in the context of Madhya Pradesh several industrial and municipal water supply schemes are being proposed to supply raw water from Narmada River based on old estimated river flows. He said however, over a period of time the overall river flows have decreased and the pollution load has also increased in the waters. He stated that several schemes being planned for urban water supply do not take into account the needs of the local people. He called upon the local communities to understand the motives behind such schemes and requested that they campaign to make them pro-poor and pro-marginalised.
Shri Rehmat of Manthan Adhyayan Kendra stated that for the proposed water supply scheme in Itarsi, the tender for the construction work was awarded at Rs 26.11 crores even though the approved cost of the project was Rs 13.81 crores. In the mean while the time limit of the tender expired and financial arrangement for the difference amount could not be reached by both the parties. The dispute in this matter between the private company and the municipal body has now reached the Madhya Pradesh High Court and is sub-judice. The works on the scheme began much later but kept lagging due to inordinate delays. The construction was planned to be completed in 1.5 years but during that period only 20% work was done. The private company has been given extensions 4 times but it is difficult to predict when the works would finish. The construction work mainly focuses on bulk water supply as compared to improvements in distribution to remove the intra-city inequalities. It appears that project benefits would not reach to the poor and slum communities which remain disconnected from the piped water supply services.
Shri Gaurav Dwivedi of Manthan Adhyayan Kendra shared about the conditionalities in the UIDSSMT scheme that the municipal bodies like Itarsi have to agree and sign to be eligible to receive the grants for infrastructure development from the central and state governments. The funds are tied and are supposed to be spent as per the procedures prescribed in the scheme. According to the reforms agenda of UIDSSMT municipal bodies have to agree to implement private participation in urban services like water and sanitation, full cost recovery, increasing user charges and removal of public stand posts. These conditionalities can have severe impacts on the poor and marginalised communities in accessing domestic water. He also shared that in response to private participation various municipal bodies across the world are now rejecting handing over control of water services to private companies and asserting their own role in providing basic services to the local people – a process also known as remunicipalisation.
Shri Tarun Mandloi from Khandwa shared about the campaign in Khandwa on the private domestic water supply project in the town. He also shared about the impacts that the local people have been observing due to the implementation of the private project in the town including increasing water charges, private control over water supply and prohibition on using local resources like dugwells, borewells and handpumps. Shri Manoj Bhadoria from Shivpuri shared similar experiences about the implementation of private domestic water project in Shivpuri. He stated that the project has been delayed by more than 3 years and people have been waiting for the project to start delivering water services. He also shared that most people do not know about the conditions included in the concession contract that has been signed with the private company similar to those in Khandwa. Incidentally, same company that is implementing the project in Shivpuri is also implementing it in Itarsi, namely Doshion Ltd.
During the open discussion session local people shared their views on the new scheme and the private project. Several of them stated that they were unaware of the projects details and the conditions that would be imposed because of it. They expressed their serious concerns about the terms and conditions under the project
and also about these not kept in the public domain and shared with the local people. It needs to be mentioned that some of the important decisions about the project were not shared with the local people as well as the elected people’s representatives. These decisions were taken in the Mayoral Council and not in the general assembly of the municipal body.
Local people participating in the discussion said that the burden of various local development schemes is borne by them, hence their participation in decision making and monitoring of such larger public welfare schemes is essential. They also agreed to form a local committee to spread awareness and discuss about the private water supply project in Itarsi. Shri Rajkumar Dubey of Upbhokta Sanrakshan Manch, Itarsi said that they will request all the citizen groups in the town and well known people to join the committee. The consultation ended with the vote of thanks by Shri BB Gandhi.
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