वर्ष 2012 की शुरुआत में भारत सरकार ने राष्ट्रीय जलनीति का खाका वेबसाईट पर पेश कर उस पर जनता से प्रतिक्रिया जाननी चाही थी। इस नीति पर देश में काफी बहस हुई और इसके संभावित परिणामों के संबंध में गंभीर चिंताए व्यक्त की गई थी। इस जल नीति के प्रारुप में पानी के निजीकरण की नीति को विस्तार देते हुए ’सार्वजनिक निजी भागीदारी’ या पीपीपी के जुमले का इस्तेमाल किया गया है। साथ ही जल क्षेत्र में सुधार (निजीकरण) को प्रोत्साहन और सहायता प्रदान किया जाना शामिल किया गया है।
इस नीति व्याख्या करते हुए हिन्दी और ENGLISH में आलेख प्रस्तुत है।
राष्ट्रीय जलनीति की हिन्दी और ENGLISH प्रति यहॉं से डाउनलोड की जा सकती है।