भारत सरकार ने हाल ही में राष्ट्रीय अंतर्देशीय जलमार्गो की एक महत्वकांक्षी परियोजना को हाथ में लिया है। इस परियोजना के तहत भारत की 111 नदियों में बड़े और व्यावसायिक अंतर्देशीय जलमार्ग बनाने हैं। बड़े बॉंधों के बाद शायद अंतर्देशीय जलमार्ग नदियों के विनाश के सबसे बड़े कारण के रूप में उभर रहा है।
मंथन और श्रुति की यह नई रपट अंतर्देशीय जलमार्गों से संबंधित मुद्दों की विस्तृत विवेचना प्रस्तुत करती है। जिसमें जलमार्गो से जुड़े तथ्य, क़ानूनी प्रावधान और उसकी पर्याप्तता, जलमार्ग बनाने और उनके रखरखाव के लिए हस्तक्षेप, इन हस्तक्षेपों का सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक परिणाम शामिल हैं। साथ ही, यह रिपोर्ट इन जलमार्गों की व्यवहार्यता सहित कुछ बुनयादी मुद्दों को उठाती है और कुछ महत्वपूर्ण सुझाव भी देती है। रिपोर्ट पर आपकी टिप्पणियों और सुझावों का स्वागत है।
लेखक: श्रीपाद धर्माधिकारी और जिंदा सांडभोर, हिंदी अनुवाद: योगेन्द्र दत्त, प्रकाशन: मंथन अध्ययन केंद्र और SRUTI, नई दिल्ली.